💥 विशेष पड़ताल लाखों के फ़र्ज़ीवाड़े से आदिवासी अंचल शर्मसार! डिंडोरी के KGBV में 'सिंडिकेट' का पर्दाफ़ाश

डिंडोरी (शाहपुर): मध्य प्रदेश के डिंडोरी ज़िले के शाहपुर स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास (KGBV) में लाखों रुपए की वित्तीय अनियमितताओं का सनसनीख़ेज़ मामला सामने आया है। फ़र्ज़ी बिलों के माध्यम से सरकारी राशि का सुनियोजित तरीक़े से गोलमाल किया गया है, जिसका सीधा शिकार ग़रीब आदिवासी बालिकाएँ बन रही हैं, जिन्हें निर्धारित मूलभूत सुविधाएँ और उचित पोषण तक नसीब नहीं हो रहा है।



🍽️ पेट पर डाका: बच्चों को नहीं मिला सही पोषण

जाँच में पता चला कि छात्राओं को सरकारी मेनू के हिसाब से भोजन नहीं दिया जा रहा है।

  • फल के नाम पर फ़ूटा: शासन द्वारा निर्धारित फल देने के बजाय, बच्चों को केवल 'फ़ूटा' (चना) खिलाया जा रहा है।

  • अन्य अभाव: ज़रूरी चीज़ें, जैसे सैनेटरी नैपकिन और स्टेशनरी भी सही तरीक़े से वितरित नहीं की जा रही हैं।

  • Astt. वार्डन की स्वीकारोक्ति:  श्रीमती ओमती परस्ते ने स्वीकार किया कि छात्राओं को भोजन मेनू के हिसाब से नहीं दिया गया, लेकिन वह कोई ठोस कारण नहीं बता सकीं।


💸 फ़र्ज़ी बिलों का जाल: सिंडिकेट की आशंका

वित्तीय वर्ष 2023 से 2025 के बिलों की जाँच में बड़े फ़र्ज़ीवाड़े का ख़ुलासा हुआ, जो एक बड़े सिंडिकेट की ओर इशारा करता है:

  1. दूध ख़रीदी घोटाला: बिलों में हर महीने 500 से 600 लीटर 'पैकेट दूध' की ख़रीदी दिखाई गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि जून-2025 (छुट्टियों) का भी बिल लगाया गया है, जबकि स्टाफ़ का कहना है कि पैकेट का दूध कभी नहीं लिया गया।

  2. दोहरी ईंधन चोरी: फ़र.-25, जुला.-25 और अग.-25 में जलाऊ लकड़ी के नाम पर ₹38,800 के बिल लगाए गए, जबकि उसी अवधि में इंडेन गैस के बिल भी लगे हैं—यानी दोहरे ख़र्च का दावा कर राशि निकाली गई।

  3. फ़र्ज़ी फ़र्म: जिस फ़र्म के नाम से लकड़ी के बिल लगे हैं, वह अस्तित्व में ही नहीं है

  4. विलासिता पर ख़र्च: सैनेटरी नैपकिन, दही, पनीर और यहाँ तक कि चॉकलेट के नाम पर भी हज़ारों के बिल लगे हैं, जबकि ये सुविधाएँ आदिवासी बालिकाओं को नहीं मिलीं।

🚨 डीपीसी ने दी जाँच की गारंटी: क्या होगा सिंडिकेट का पर्दाफ़ाश?

ज़िला परियोजना समन्वयक (DPC) श्रीमती श्वेता अग्रवाल के संज्ञान में जब ये तथ्य लाए गए, तो उन्होंने अंततः एक जाँच टीम बनाकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच करने का भरोसा दिया है।

यह मामला सिर्फ़ शाहपुर तक सीमित नहीं है। आशंका है कि यह फ़र्ज़ीवाड़ा ज़िले के अन्य KGBV छात्रावासों में भी एक सुनियोजित सिंडिकेट के माध्यम से किया जा रहा हो। अब देखना यह है कि क्या जाँच टीम ईमानदारी से इस पूरे सिंडिकेट का पर्दाफ़ाश करेगी और दोषियों पर सख़्त कार्रवाई करेगी, या फिर मासूम बालिकाओं के हक़ की यह लड़ाई कागज़ों में दबकर रह जाएगी।

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